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बवासीर का आयुर्वेदिक उपचार,घरेलु नुस्खे !


बवासीर या हैमरॉइड की परेशानी से बहुत बड़ी संख्या में लोग पीड़ित रहते हैं। बवासीर मलाशय के आसपास की नसों की सूजन के कारण विकसित होता है। बवासीर दो तरह की होती है, अंदरूनी और बाहरी. अंदरूनी बवासीर में नसों की सूजन दिखती नहीं पर महसूस होती है, जबकि बाहरी बवासीर में यह सूजन गुदा के बिलकुल बाहर दिखती है।अंदरूनी बवासीर के कारण स्याह रंग के रक्त का स्राव होता है, जबकि बाहरी बवासीर में अत्यधिक पीड़ा महसूस होती है और रक्त का बहुत ही कम या बिलकुल भी स्राव नहीं होता। पर इन्टरनेट पर बवासीर और हैमरॉइड के बारे में प्रचुर मात्रा में जानकारी उपलब्ध होने के बावजूद, इस विषय के बारे में अभी भी कुछ स्पष्ट सोच नहीं बन पाई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई लोग स्वास्थ्य की ऐसी कई समस्याओं के बारे में चर्चा करने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं। बवासीर कोई बीमारी नहीं होती, पर सतह के नीचे के किसी संक्रमण के कारण होती है। और  बवासीर से जुड़ी संक्रमण जैसी कोई चीज़  नहीं होती। अनेक मामलों में बवासीर,  खाने की गलत आदतों, और ऐसे खान पान का सेवन करना जिनमे उचित रेशों की कमी के साथ, चर्बी की मात्रा अधिक हो, उनके सेवन से होती है।  

बवासीर के लक्षण: बवासीर का लक्षण पहचानना बहुत ही आसान है। पहला लक्षण है मलत्याग के समय मलाशय में अत्यधिक पीड़ा, और इसके बाद रक्तस्राव, खुजली वगैरह। लेकिन बवासीर के लक्षण अलग अलग लोगों में अलग अलग प्रकार के होते हैं, इसीलिए इसकी चिकित्सा से पहले इसका निदान बहुत ही ज़रूरी होता है।

बवासीर के अन्य लक्षण हैं: गुदे पर सुजन, चिपचिपे श्लेम का स्राव, यह एहसास कि आपका पेट ठीक तरह से साफ़ नहीं हुआ है, गुदे के आसपास खुजली का होना।

बवासीर के आयुर्वेदिक उपचार:

1.डेढ़-दो कागज़ी नींबू अनिमा के साधन से गुदा में लें। दस-पन्द्रह संकोचन करके थोड़ी देर लेते रहें, बाद में   शौच जायें। यह प्रयोग 4- 5 दिन में एक बार करें। 3 बार के प्रयोग से ही बवासीर में लाभ होता है । साथ में हरड या बाल हरड का नित्य सेवन करने और अर्श (बवासीर) पर अरंडी का तेल लगाने से लाभ मिलता है। 

2.नीम का तेल मस्सों पर लगाने से और 4- 5 बूँद रोज़ पीने से लाभ होता है।

3.करीब दो लीटर छाछ (मट्ठा) लेकर उसमे 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और थोडा नमक मिला दें। जब भी प्यास लगे तब पानी की जगह पर यह छास पी लें। पूरे दिन पानी की जगह यह छाछ (मट्ठा) ही पियें। चार दिन तक यह प्रयोग करें, मस्से ठीक हो जायेंगे।

4.अगर आप कड़े या अनियमित रूप से मल का त्याग कर रहे हैं, तो आपको इसबगोल भूसी का प्रयोग करने से लाभ मिलेगा। आप लेक्टूलोज़ जैसी सौम्य रेचक औषधि का भी प्रयोग कर सकते हैं।

5.आराम पहुंचानेवाली क्रीम, मरहम, वगैरह का प्रयोग आपको पीड़ा और खुजली से आराम दिला सकते हैं।

6.ऐसे भी कुछ उपचार हैं जिनमे शल्य चिकित्सा की और अस्पताल में भी रहने की ज़रुरत नहीं पड़ती।
बवासीर के उपचार के लिये अन्य आयुर्वेदिक औषधियां हैं:  अर्शकुमार रस, तीक्ष्णमुख रस, अष्टांग रस, नित्योदित रस, रस गुटिका, बोलबद्ध रस, पंचानन वटी, बाहुशाल गुड़, बवासीर मलहम वगैरह। 

बवासीर की रोकथाम:
 

1.अपनी आँत  की गतिविधियों को सौम्य रखने के लिये, फल, सब्ज़ियाँ, सीरियल, ब्राउन राईस, ब्राउन ब्रेड जैसे रेशेयुक्त आहार का सेवन करें।

2.तरल पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करें।